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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान का अब तक का सफर

गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवाओं और किफायती स्वास्थ्य सुविधाओं के बीच क्षेत्रीय असंतुलन को कम करने तथा क्षेत्रीय जनता की स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करने के लिए के लिए, हमारे प्रिय प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने छह एम्स की स्थापना की। एम्स पटना उन छह नए एम्स में से एक है। भारत के तत्कालीन उपराष्ट्रपति श्री भैरों सिंह शेखावत जी ने 2 जनवरी 2004 को फुलवारीशरीफ में इसकी नींव रखी। अगस्त 2010 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 823 करोड़ की लागत से छह एम्स जैसे संस्थानों को चलाने के लिए सोसायटी के गठन की मंजूरी दी। ये सोसायटी कानूनी संस्थाएं थीं जिन्होंने परियोजना की अधिक स्वायत्तता और तेजी से निष्पादन सुनिश्चित किया, वर्ष 2009 में पांच एम्स सहित एम्स पटना के विकास पर गंभीरता से काम शुरू हुआ।

प्रोफेसर डॉ. गिरीश कुमार सिंह संस्थापक निदेशक थे और उन्होंने 1 नवंबर 2011 को अपना कार्यभार फिर से संभाला। एम्स पटना मूल रूप से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2012 के तहत संसद के एक अधिनियम द्वारा राष्ट्रीय महत्व के संस्थान (आईएनआई) के रूप में अस्तित्व में आया। इस अधिनियम का एम्स पटना को एक स्वायत्त निकाय बनने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका रहा । एम्स पटना के आधिकारिक उद्घाटन समारोह का आयोजन 25 सितंबर वर्ष 2012 को हुआ था।

संस्थान के विकास के प्रारंभिक वर्षों मेॆ आयुष पीएमआर ब्लॉक में सबसे पहले अस्पताल की शुरुवात हुई। जिसे दो शिफ्टों में संचालित ऑपरेशन थिएटरों के साथ एक छोटे अस्पताल के रूप में विकसित किया गया । इस अस्पताल में पहली सर्जरी 26 दिसंबर 2013 को की गई।

प्रोफेसर डॉ. गिरीश कुमार सिंह जी के बाद प्रोफेसर डॉ. गीतांजलि बत्मानबाने, निदेशक एम्स भुवनेश्वर के बाद एम्स पटना की अतिरिक्त और अंतरिम निदेशक बनी । बाद में, प्रोफेसर डॉ. प्रभात कुमार सिंह 27 फरवरी 2017 को नियमित निदेशक के रूप में संस्थान में शामिल हुए। पिछले संकाय सदस्यों के लिए बहुप्रतीक्षित पदोन्नति के साथ-साथ संकाय भर्ती का दूसरा चरण अगले दो वर्षों में हुआ। इन दो वर्षों के दौरान कई नई सुविधाएं शुरू हुईं जैसे ओपीडी ब्लॉक, आईपीडी- डी और सी ब्लॉक, 8 मॉड्यूलरओटी, 9 बिस्तरों वाला आईसीयू, ट्रॉमा और आपातकालीन सेवाएं, चिकित्सा गैसों की आपूर्ति के लिए केंद्रीय चिकित्सा पाइपलाइन प्रणाली, एसएसडी और अमृत फार्मेसी आदि।

एम्स पटना के लिए वर्ष 2019-20 एतिहासिक उपलब्धियों से भरा रहा। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ने स्वास्थय सेवाओं, चिकित्सा संबंधी शिक्षाविदों की संख्या और अनुसंधान की क्षमताओं में काफी विकास किया है। सभी लोगों के समग्र समर्थन ने संस्थान को एक नई ऊंचाई प्रदान की है। इस वर्ष की यात्रा का सारांश नीचे दिया गया है:

सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य संबंधी देखभाल

इन संस्थानों में बेहतर ईलाज के लिए आने वाले मरीजों तथा अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए हॉस्पिटल रिवॉल्विंग फंड (एचआरएफ) द्वारा उचित मूल्य पर दवा आपूर्ति प्रणाली की शुरुआत की गई जहाँ से मरीजों के परिजन आसानी से दवाएं खरीदते हैं। संस्थान के इस प्रयास के परिणामस्वरूप, अब जन जन तक दवाएं और स्वास्थ्य सुविधाएं सुगमता से पहुँच रही हैं। संस्थान की गुणवत्ता नियंत्रण टीम द्वारा दवाओं की गुणवत्ता का नियमित सत्यापन किया जाता है।

एम्स पटना को डिजिटल और पेपरलेस बनाने तथा सीडीएसी सॉफ्टवेयर के साथ अस्पताल सूचना प्रणाली (एचआईएस) को स्थापित करने में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा। सभी के लिए स्वास्थ्य की माननीय प्रधानमंत्री जी की महत्वाकांक्षी परियोजनाएं जैसे आयुष्मान भारत योजना सहित कई अन्य योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू किया गया और संस्थान में आने वाले रोगियों के लिए इन योजनाओं की उपलब्धता सुनिश्चित किया जाता रहा है। इस वर्ष आयुष्मान भारत योजना के तहत बड़ी संख्या में मरीजों का इलाज किया गया। प्रयोगशाला सेवाएँ किसी भी अच्छे संस्थान की रीढ़ होती हैं। HL-7 इंटरफ़ेस के माध्यम से प्रयोगशाला सूचना सेवाओं और अस्पताल सूचना सेवाओं के एकीकरण में संस्थान को सफलता मिली।मरीजों की समस्याओं के समाधान के लिए आईपीडी भवन में चौबीस घंटे कार्यात्मक सेंट्रल लैब की शुरूवात की गई थी। नमूना संग्रह काउंटरों में मैन्युअल त्रुटियों को खत्म करने के लिए इस वर्ष छह स्वचालित फ़्लेबोटॉमी ट्यूब लेबलर (एपीटीएल) संस्थान में स्थापित किए गए हैं। इस वर्ष एम्स पटना के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में क्षेत्रीय वायरोलॉजी प्रयोगशाला स्थापित करने के लिए आईसीएमआर से मंजूरी प्राप्त हुई है, जो वायरल संक्रमण के क्षेत्र में संस्थान में अनुसंधान को बढ़ाएगी और एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के खिलाफ लड़ाई लड़ने में देश की मदद करेगी।

इसके साथ ही अखिल भारतिय आयुर्विज्ञान संस्थान मरीजों को कुछ अत्याधुनिक सेवाएं प्रदान करता है जैसे संयुक्त प्रतिस्थापन, आर्थोस्कोपी, कॉकलियर इम्प्लांट, इंटरवेंशन रेडियोलॉजी, बाल चिकित्सा मूत्रविज्ञान, लेप्रोस्कोपिक सर्जरी, हेपाटो-पित्त सर्जरी, जटिल पुनर्निर्माण प्लास्टिक सर्जरी, कार्डियोथोरेसिक सर्जरी, कैंसर सर्जरी आदि। एक व्यापक कैंसर देखभाल सुविधा अब सर्जरी, रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी की सुविधा के साथ एक ही छत के नीचे उपलब्ध है। संस्थान में डिजिटल एक्स-रे, हाई-एंड डिजिटल मैमोग्राफी, 4डी कलर डॉपलर, 256 स्लाइस सीटी स्कैन, बाइप्लेन डीएसए और 3 टेस्ला एमआरआई के साथ एक उन्नत रेडियोलॉजी केंद्र है।

हृदय की गंभीर बिमारी से ग्रसित मरीजों की देखभाल के लिए इस वर्ष गहन कार्डियक केयर यूनिट के साथ सभी आधुनिक सुविधाओं से युक्त एक अत्याधुनिक कार्डियक कैथ लैब शुरू की गई है। ट्रॉमा सेंटर के लिए एक सीटी स्कैन ट्रॉमा और इमरजेंसी का निर्माण किया गया है। इस संस्थान में एक समय में 27 शवों की भंडारण क्षमता वाला एक मॉड्यूलर शवगृह भी है जो चौबीस घंटे अपनी सेवा प्रदान करता है।

अस्पताल के मानक को बनाए रखने के लिए फीडबैक सिस्टम अनिवार्य है। एम्स पटना ने जनता के लिए एक डिजिटल फीडबैक प्रणाली "मेरा अस्पताल" की शुरुआत की । इस वर्ष पटना एम्स का स्कोर रेटिंग 58 रहा। एम्स पटना JIPMER पुडुचेरी द्वारा आयोजित अस्पताल संक्रमण नियंत्रण प्रतियोगिता में तीसरे स्थान पर रहा।

अपने कर्मचारियों को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने के लिए, संस्थान ने सभी ईएचएस लाभार्थियों के लिए केंद्रीय फार्मेसी की शुरुआत की है।

शिक्षाविदों को मजबूत करना

किसी भी संस्थान का आधार उसके सदस्य होते हैं। संस्थान के संसाधनों को बढ़ाने के लिए एक सफल भर्ती अभियान चलाया गया और सुपर-स्पेशियलिटी विषयों पर विशेष ध्यान देने के साथ नई दिल्ली में आयोजित साक्षात्कार में 58 नए संकाय सदस्यों का चयन किया गया। नई भर्तियों के साथ-साथ कई संकाय सदस्यों को मूल्यांकन एवं पदोन्नति योजना के माध्यम से पदोन्नत भी किया गया।

ग्रुप बी कर्मचारियों की भर्ती के लिए एक अभियान की शुरुआत हुई जिसके तहत योग्य उम्मीदवारों के चयन के लिए संस्थान द्वारा एक अखिल भारतीय आधार प्रतियोगी परीक्षा आयोजित की गई । इस परीक्षा के नतीजे घोषित हो चुके हैं और परीक्षा में सफल उम्मीदवारों के ज्वाइनिंग की प्रक्रिया जारी है।

संस्थानों के शिक्षाविदों ने इस वर्ष विभिन्न सर्जिकल और मेडिकल विषयों में कई एमसीएच/डीएम पाठ्यक्रमों की शुरूआत कर संस्थान को एक बड़ी उपलब्धि प्रदान किया है। अनुसंधान उत्पादन में जबरदस्त वृद्धि हुई है जो राष्ट्रीय महत्व के अनुसंधान संस्थानों की स्थापना के उद्देश्य को पूरा करता है।

अत्याधुनिक सुविधाओं का बुनियादी ढांचा

यह वित्तीय वर्ष एम्स पटना के इतिहास में एक ऐतिहासिक वर्ष साबित हुआ है। अस्पताल का अपनी पूरी क्षमता तक विस्तार हुआ और सी एवं डी के साथ आईपीडी के ए एवं बी ब्लॉक के सक्रिय होने से सभी 960 बिस्तर कार्यात्मक हो गए। ए एवं बी ब्लॉक की 5वीं एवं 6वीं मंजिल पर 20 हाई-एंड ओटी के साथ अत्याधुनिक, पूरी तरह से मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर कॉम्प्लेक्स का संचालन शुरू किया गया। ऑपरेटिव रोगियों की तत्काल आवश्यकता को पूरा करने के लिए एक अच्छी तरह से सुसज्जित प्री और पोस्ट-ऑपरेटिव देखभाल इकाइयाँ स्थापित की गईं। इस वर्ष संस्थान को 1200 बैठने की क्षमता वाला अपना बहुप्रतीक्षित अत्याधुनिक ऑडिटोरियम भी मिल गया। इससे संस्थान को विभिन्न विभागों द्वारा विभिन्न वैज्ञानिक कार्यक्रम, सीएमई और ऑपरेटिव कार्यशालाएं आयोजित करने में मदद मिल रही है ।

एचईएफए से ऋण की मदद से एक सुपर स्पेशलिटी टावर, एक रेडियोलॉजी ब्लॉक, एक अकादमिक भवन और क्लब हाउस के साथ टाइप 5 आवासीय क्वार्टर बनाने के प्रस्ताव को स्थायी वित्त समिति से मंजूरी प्राप्त हुई है।

अन्य गतिविधियां

चिकित्सा शिविरों, ऑपरेटिव शिविरों (लाइफलाइन एक्सप्रेस) और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों के रूप में कई सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रमों का संचालन अब संस्थान का एक अभिन्न अंग बन गए हैं। संस्थान का 8वां स्थापना दिवस मनाया गया जिसमें माननीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री अश्विनी चौबे मुख्य अतिथि थे।

इस वित्तीय वर्ष के अंत में पूरा विश्व कोरोना महामारी के खतरे से जूझ रहा था और संस्थान भी इससे अछूता नहीं था। संस्थान ने कमर कस ली और कोरोना के खिलाफ लड़ाई में दीवार की तरह खड़ा रहा और बिहार राज्य में अग्रणी रहा। बाद में इसे बिहार सरकार द्वारा डेडिकेटेड कोरोना हॉस्पिटल (DCH) घोषित किया गया। संस्थान ने सरकार द्वारा 'कोविड 19 के प्रबंधन में उत्कृष्टता केंद्र' का टैग भी हासिल किया और बिहार राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों के स्वास्थ्य कर्मियों के लिए शिक्षण और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।